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रामायणक अनुसार मिथिलाक राजा जनकक खेत म हल जोतैत समय एकटा पेटी सँ भेटल। हल क संस्कृत म 'सीत' कहैय क कारण हिनक नाम सीता पडल। राजा जनकक पुत्री हेवा क कारण हिनका जानकी आ जनकसुता कहल जैत अछि। मिथिला क राजकुमारी हेवा क कारण मैथिली नाम सँ सेहो प्रसिद्ध अछि।
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महाराज जनक सीता स्वयंवरक घोषणा केलक आउर ऋषि विश्वामित्रक उपस्थिति हेतु निमंत्रण भेजल गेल। आश्रम म राम आ लक्ष्मण उपस्थित क कारण हुनको मिथिपलपुरी साथ ल एला। महाराज जनक जी उपस्थित ऋषिमुनि क आशिर्वाद सँ स्वयंवरक लेल शिवधनुष उठाबैय क नियम क घोषणा केलक। श्रीरामजी धनुष क उठेलक आ ओकरा तोरलक। अय तरहे सीता क विवाह श्रीरामजी सँ निश्चय भेल।
साथे ऊर्मिला क विवाह लक्ष्मण सँ, मांडवी क भरत सँ आ श्रुतिकीर्ती क शत्रुघ्न सँ निश्चय भेल। पाविवाहोपरांत सीता अयोध्या एलिह।
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जय जानकी जय मिथिला
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