सगर राति दीप जरए , आन्दोलन आ बभनभोज- अतुलेश्वर - मिथला दर्सन !
Headlines News :
Home » » सगर राति दीप जरए , आन्दोलन आ बभनभोज- अतुलेश्वर

सगर राति दीप जरए , आन्दोलन आ बभनभोज- अतुलेश्वर

Written By Unknown on Friday 21 March 2014 | 18:21


सगर राति दीप जरए , आन्दोलन आ बभनभोज- अतुलेश्वर
कथा साहित्यक प्रकाशन करए वला पत्र-पत्रिका अभावक कारण एकटा प्रश्न ठाढ़ भेल कि यदि मैथिलीक रचनाकारकें अपन रचनाक लेल कोनो मंच नहि भेटत तँ मैथिली आबयवला समयमे रचनाकारक अभाव सँ गुजरि सकैत अछि। आ मैथिली भाषा आ साहियक क्रान्तिकारी पुरुष डा.काञ्चीनाथ झा किरणक जन्म दिवसक अवसर पर लोहना गाममे जे समारोह आयोजन भेल छल ओहिमे पंजाबी भाषामे जहिना भरि रातिक कथा गोष्ठी कयल जा रहल छल ओहिना मैथिली भाषामे आरम्भ कयल जाए। आ कथा साहित्यक पुरोधा आ युवा साहित्यकारक पथपर्दशक स्व. प्रभाष कुमार चौधरीक नेतृत्वमे ई आन्दोलन प्रारम्भ भेल । कहल जा सकैछ जे काल सापेक्ष ई आन्दोलन मैथिली साहित्य लेल वरदान साबित भेल,कारण कतेको कथाकार, आलोचक एहि आन्दोलन सँ मैथिली साहित्य मध्य उपस्थित भेलाह तँ दोसर दिश एक नव आलोचनाक बाट फूजल। मुदा आइ काल्हि तँ एहि मे कथाक चर्चा सँ बेशी मानकीकरण,कखनो जातिवाद,कखनो भत्ताक गप्प होइत अछि। एतेक धरि जे कथाक गोष्ठीक अस्मिता पर कुठाराघात करैत किछु मैथिली अहित सेवी लोकनि ओकरा सरकारी संस्थाक कार्यक्रमसँ जोड़ि ओकर अस्मिता आ स्वतंत्रताक नष्ट करबाक प्रयास क’ रहल छथि। कारण जखनहिं साहित्य अकादेमी आ सरकारी संस्था सभसँ जोड़ल जाएत तँ एहि गोष्ठी सँ जनसहभागिता कम भेल जाएत आ कथा गोष्ठी अपन उद्देश्यक बाटसँ भटकि जाएत ई षडयंत्र हमरा जनैत एहि कारणेँ कएल जा रहल अछि , जे मैथिलीमे नव-नव रचनाकारक अभाव हुअए आ मैथिली साहित्य किछु वर्ग धरि सिमटि जाए। एहि तरहेँ बहुतों गोटा एहि बेरक कथा गोष्ठीकेँ सगर राति दीप जरएक श्रृंखला सँ नहि जोड़बाक आग्रह कयलन्हि अछि समर्थन हमरो अछि,कारण यदि हम सभ विरोध नहि करब तखनि ई लोकनि हमर सभक अस्मिता पर एहिना आघात कयल करताह आ जेकरा रोकब आवश्यक अछि, एहि लेल एकजूट होयब जरूरी अछि।नहि तँ एकटा आन्दोलन षडयंत्रक फाँसमे समाप्त भ’ जाएत।
हँ एहि गोष्ठी मे एकटा बात उठल छल जे बभनभोज। गोष्ठी कथा गोष्छी नहि भ’ बभनभोज भ’ गेल , ई सगर राति दीप जरए लेल एकटा आर आघात भेल । आशा करब आदरणीया विभा रानी सँ जे एहि आन्दोलनक दीपकेँ उद्देश्य सँ नहि भटकय देथि पुनः माँ जानकीक भाषा मैथिलीक आन्दोलन अपन उद्देश्य मे लागि जाए। आ सगर राति दीप जरए मैथिली कथा साहित्यक दीपकेँ मात्र जरौने टा नहि रहए ओ सम्पूर्ण विश्वमे मैथिली कथा साहित्यक दीप जगमगबैत रहए । एहि कामनाक संग हम सभ पुनः अपन आन्दोलनक नेतृत्व स्वयं करी आ घुसपैठिया लोकनिकेँ एहि आन्दोलन सँ भगाबी । एहि उद्देश्य संग दक्षिण भारत आबि आ माँ जानकीकेँ मोन पाड़ि।
Share this article :

No comments:

Post a Comment

 
Support : Creating Website | Johny Template | Mas Template
Copyright © 2011. मिथला दर्सन ! - All Rights Reserved
Template Modify by Creating Website
Proudly powered by Blogger