हकार (ओमप्रकाश झा) ८१म सगर राति दीप जरय कथा गोष्ठीक आयोजन देवघरमे २२ मार्च २०१४ शनि दिन भऽ रहल अछि। ई आयोजन देवघरमे बमपास टाउन स्थित “बिजली कोठी” नम्बर ३ मे संध्या ५ बजे सँ २२ मार्च २०१४ केँ शुरू भऽ कऽ २३ मार्चक भोर धरि हएत। - मिथला दर्सन !
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हकार (ओमप्रकाश झा) ८१म सगर राति दीप जरय कथा गोष्ठीक आयोजन देवघरमे २२ मार्च २०१४ शनि दिन भऽ रहल अछि। ई आयोजन देवघरमे बमपास टाउन स्थित “बिजली कोठी” नम्बर ३ मे संध्या ५ बजे सँ २२ मार्च २०१४ केँ शुरू भऽ कऽ २३ मार्चक भोर धरि हएत।

Written By Unknown on Friday 21 March 2014 | 18:22


हकार (ओमप्रकाश झा)
८१म सगर राति दीप जरय कथा गोष्ठीक आयोजन देवघरमे २२ मार्च २०१४ शनि दिन भऽ रहल अछि। ई आयोजन देवघरमे बमपास टाउन स्थित “बिजली कोठी” नम्बर ३ मे संध्या ५ बजे सँ २२ मार्च २०१४ केँ शुरू भऽ कऽ २३ मार्चक भोर धरि हएत। अहाँ सभ कथाकार लोकनि सादर आमंत्रित छी।
गजेंद्र ठाकुर 
मैथिलीक सिलेबसमे वएह जमीन्दारक जीवनी आ चारिटा परिवारक स्तरहीन ब्राह्मणवादी कथा-कविता-नाटक देल जाइत रहतै. ओइ भूपसभ लेल अनशन केलासँ मैथिलीकेँ भऽ रहल हर्जा आर बढ़बे करतै। मैथिलीक जातिवादी सिलेबसक खिलाफ अनशन मात्रसँ मिथिला राज्यक ब्राह्मणवादी आन्दोलनी सभक कलंक मेटा सकै छन्हि।
मिथिला यूनिवर्सिटी आ साहित्य अकादेमी मे जे भऽ रहल अछि सएह “मैथिल ब्राह्मण मात्र लेल मिथिला राज्य” मांगैबलाक मिथिला राज्यमे हएत, से जे शंका लोककेँ छै से असत्य नै छै।
साहित्य अकादेमी मैथिलीक पतन लेल जे काज केलक अछि आ कऽ रहल अछि तकरा मौन आ मुखर सम्बोधन केनिहारक संख्या आंगुर पर गानल जा सकैत अछि। “सगर राति दीप जरए” समानान्तर परम्पराक बौस्तु रहए तकर प्रयास हेबाक चाही, साहित्य अकादेमी पोषित मुख्यधारा लग ने लेखक छै आ ने पाठक आ ने प्रतिभा। ओकर इतिहास लेखन मे एहेन एहेन लोक आ पोथीक वर्णन भेटत जकर अस्तित्व नै भेटत, से मूल धारा अपन इतिहास लेखनमे कोनो गनती करबा लेल स्वतंत्र अछि । राधाकृष्ण चौधरी आ सुभाष चन्द्र यादवक संग कएल छ्लक विरोध ओइ धारामे नै भेलै, कारण ओ “स्टेटस को” समर्थित लोकक संगठन छै। साहित्य अकादेमीक गोष्ठी मूल धाराक लेल सगर रातिक गोष्ठी भऽ सकैए समानान्तर धाराक लेल नै।
शिव कुमार झा “टिल्लू”क “अंशु” आ बेचन ठाकुर जी क नाटक “ऊंच-नीच” ८१म सगर राति दीप जरय कथा गोष्ठीक आयोजन देवघरमे लोकार्पित हएत जे ब्राह्मणवादी समीक्षा आ रंगमंचपर अन्तिम मारक प्रहार हएत।
मैथिली आ मिथिलासँ प्रेम करैबला अधिसंख्यक समानान्तर परम्परा सम्बन्धी वर्ग आब “गरिखर” मुख्यधाराक डरे साहित्य अकादेमी गोष्ठीकेँ “सगर राति दीप जरए” केर मान्यता नै दऽ सकत।
मैथिलीक मूल “गरिखर” परम्परा मे २० टा लेखक छै आ पाठक एक्कोटा नै, ई बीस गोटा बीस ग्रुपमे विभक्त अछिो, सभ आपसमे कुकुड़ कटाउझ करैत रहैत अछि, मुदा विदेहक विरोधमे एक भऽ जाइत अछि आ साहित्य अकादेमीक पक्षमे भऽ जाइत अछि।
एकटा यएह संस्था छै जतऽ नन्दविलास राय सेहो जा सकै छथि आ जगदीश प्रसाद मण्डल सेहो। गुआहाटीक विद्यापति पर्व मे “मैथिल ब्राह्मण मात्र लेल मिथिला राज्य आ मैथिली भाषा” मांगैबला ब्राह्म्णवादी सभ जइ तरहें जगदीश प्रसाद मण्डल जीकेँ मुख्य अतिथि बनेबा पर जे निर्लज्जतापूर्ण हंगामा केने रहथि, वा दरभंगाक विद्यापति पर्व मे “नन्द विलास राय”केँ कवि सम्मेलनमे भाग नै लेबऽ देल गेल रहन्हि ई कहि कऽ जे के अहाँकेँ पोस्टकार्ड लिखि कऽ बजेने रहए!!! जँ समानान्तर परम्परा साहित्य अकादेमी गोष्ठीकेँ मान्यता नै दऽ रहल अछि तँ ऐ सँ मिथिलापर ई कलंक तँ दूर भेबे कएल जे हम सभ “स्टेटस कोइस्ट ” छी, आब अधिसंख्यक वर्ग ओइ कुकृत्यसँ अपनाकेँ दूर करऽ चाहै छथि। मिथिला यूनिवर्सिटी आ साहित्य अकादेमी मे जे भऽ रहल अछि सएह “मैथिल ब्राह्मण मात्र लेल मिथिला राज्य” मांगैबलाक मिथिला राज्यमे हएत, से जे शंका लोककेँ छै से असत्य नै छै। मैथिली साहित्य आ इतिहास दू खण्डमे बँटि गेल अछि। लोक जेना गांधीजीक विरोध कऽ महान बनऽ चाहैए तहिना विदेहक विरोध कऽ सेहो। मैथिलीक मूल परम्परा मे २० टा लेखक छै आ पाठक एक्कोटा नै, ई बीस गोटा बीस ग्रुपमे विभक्त अछिो, सभ आपसमे कुकुड़ कटाउझ करैत रहैत अछि, मुदा विदेहक विरोधमे एक भऽ जाइत अछि।
साहित्य अकादेमीक गोष्ठीकेँ “सगर राति दीप जरए” केर मान्यता भेटै ओइ लेल कमलेश झा सन “कम्यूनिस्ट” आ ढेर रास “मैथिल ब्राह्मण मात्र लेल मिथिला राज्य आ मैथिली भाषा” मांगैबला ब्राह्म्णवादी (कम्यूनिस्ट ब्राह्मणवादी सेहो) अपस्यांत छथि। मुदा समानान्तर धाराक इतिहास लेखन मे साहित्य अकादेमीक गोष्ठीकेँ “सगर राति दीप जरए” केर मान्यता नै देल जा सकत। मूल धाराक इतिहास लेखन मे ओ साहित्य अकादेमीक गोष्ठी लेल संख्यामे “एक” नै “अनेक” संख्याक वृद्धि कऽ सकै छथि|
सुभाष चन्द्र यादवक “बनैत-बिगड़ैत”, साहित्य अकादेमी आ ओकर पुरस्कार: साहित्य अकादेमीकेँ सुभाष चन्द्र यादवसँ भतबड़ी छै। मनुक्खक मनुक्खसँ भतबड़ी होइ छै, मुदा जखन कोनो संस्थाक मैथिली विभाग कोनो मनुक्खक खास संकीर्ण वर्गक कब्जामे चलि जाइ छै तखन ओ संस्था सेहो मनुक्खे संग व्यवहार करऽ लगै छै। पछिला बेर नचिकेताक “नो एण्ट्री: मा प्रविश” क अन्तिम बेर छलै आ ऐ बेर सुभाष चन्द्र यादवक “बनैत-बिगड़ैत”क अन्तिम बेर। ऐ पोथीकेँ आब साहित्य अकादेमी पुरस्कार नै देल जा सकतै। कारण एकटा संस्थाकेँ एकटा पोथीसँ भतबड़ी भेल छै। मूल परम्परा सुखाएल इनारक बेंग छी जकर मृत्यु आसन्न छै। ने ऐसँ “नो एण्ट्री: मा प्रविश” क आ नहिये “बनैत-बिगड़ैत”क महत्व साहित्यिक रूपसँ कम हेतै। मिथिला राज्यक ढोंगी आडम्बरी नेता सभक लेल ओना ई खुशीक विषय थिक मुदा समानान्तर परम्परा लेल ई एकटा चेतौनी छी। की मिथिला राज्य सेहो समानान्तर परम्परासँ भतबड़ी करतै? की ओकरो स्वरूप साहित्ये अकादेमी सन रहतै? मिथिला राज्यक आडम्बरी सभकेँ ई उत्तर देबऽ पड़तै आ नै तँ ओकरो स्थिति सुखाएल इनारक बेंग सन हेतै!!!- गजेंद्र ठाकुर 

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