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श्री विद्यापति भारतीय साहित्यक महान कवि

Written By Unknown on Friday 21 March 2014 | 18:40

 

पूरा नाम विद्यापति ठाकुर
दोसर नाम महाकवि कोकिल
जन्म सन् 1350 सँ 1374 क मध्य
जन्म भूमि बिसपी गाँव, मधुबनी ज़िला, बिहार
मृत्यु सन् 1440 सँ 1448 क मध्य
अविभावक श्री गणपति ठाकुर आउर श्रीमती हाँसिनी देवी
श्री विद्यापति भारतीय साहित्यक भक्ति परंपरा क प्रमुख स्तंभ म सँ एकटा आओर मैथिली के सर्वोपरि कवि क रूप म जानल जैत अछि। हिनक काव्य म मध्यकालीन मैथिली भाषा क स्वरुपक दर्शन कैल जा सकैत अछि। हिनका वैष्णव आओर शिव (उगना) भक्तिक सेतु क रुप म स्वीकार कैल गेल अछि। मिथिला क लोग क 'देसिल बयना सब जन मिट्ठा' क सूत्र द उत्तरी-बिहार म लोकभाषा क जनचेतनाक जीवित करैय क महती प्रयास केलक।
मिथिलांचल क लोकव्यवहार म गावै वला गीत म एखनो श्री विद्यापति क श्रृंगार आउर भक्ति रस म पगी रचनायें जीवित अछि। पदावली आ कीर्तिलता हिनक अमर रचना अछि।
प्रमुख रचना
कीर्तिलता, मणिमंजरा नाटिका, गंगावाक्यावली, भूपरिक्रमा आदि।
महाकवि विद्यापति मैथिली, संस्कृत, अबहट्ठ आदि अनेको भाषा क प्रकाण्ड पंडित छल। कर्मकाण्ड होय या धर्म, दर्शन होय या न्याय, सौन्दर्य शास्र होय या भक्ति रचना, विरह व्यथा होय या अभिसार, राजा क कृतित्व गान होय या सामान्य जनता क लेल गया म पिण्डदान, सभटा क्षेत्र म विद्यापति अपन कालजयी रचना क बदौलत जानल जायत अछि।
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